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"युगे युगे राम": 'मिथिलेश दृष्टि' (पुस्तक - समीक्षा)

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Yuge -Yuge Ram Book Review In Hindi आपका हृदय जब भी अशांत तो हो, तब प्रभु का नाम सबसे बड़ा सहारा है. इसके अतिरिक्त हृदय की अशांति दूर करने का कोई दूसरा उत्तम मार्ग भला क्या हो सकता है? इस संसार के भवसागर में अक्सर ही ऐसी परिस्थितियां आती हैं, कि मनुष्य भिन्न भिन्न झंझावातों में फंस ही जाता है। ऐसे में तनाव के क्षणों से बाहर निकलने का मार्ग सिर्फ एक ही है, और वह मार्ग है- जपहु जाइ संकर सत नामा। होइहि हृदयँ तुरत बिश्रामा॥ यह कोई एक या दो वर्ष पुराना मंत्र नहीं है, बल्कि इसकी महिमा कालजयी है । आधुनिक विज्ञान के दौर में भी अगर मानव मन में धर्म की महिमा शेष है, तो उसके पीछे यही सूत्र तो है! जब कोई भी मार्ग नजर नहीं आता है, तब प्रभु की शरण में हर व्यक्ति पहुँचता है। इसी सन्दर्भ में कबीरदास कहते हैं कि 'दुख में सुमिरन सब करे, सुख में करे न कोय, जो सुख में सुमिरन करे, तो दुख काहे को होय।  इसका अभिप्राय बड़ा स्पष्ट है कि प्रभु का नाम हमेशा ही क्यों न लिया जाए! और अगर आप हमेशा उन्हें याद करते हैं, तो आपका मन फिर अशांत हो ही नहीं सकता । सांसारिक झंझावातों से निकलने का मार्ग आपको सहज ही प्राप