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Showing posts from November, 2021

उनको अच्छे से आता है 'रूठों' को मनाना! MULAYAM SINGH YADAV 83rd BIRTHDAY

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  MULAYAM SINGH YADAV  83rd BIRTHDAY  (PIC;  dailyexcelsior  ) आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में जब भी हम फुर्सत के दो पल बिताना चाहते हैं, तो हमें सबसे पहले परिवार की याद आती है। ऐसा हो भी क्यों ना, क्योंकि परिवार ही वह जगह है जहां हम जिंदगी की सारी परेशानियां भूल जाते हैं। जब तक हम परिवार के बीच रहते हैं, तब तक अलग ही दुनिया में आनंद लेते हैं।  आज हम ऐसा ही एक मुद्दा आपके सामने लेकर आए हैं, जो कि उत्तर प्रदेश के राजनीतिक घराने का सबसे बड़ा परिवार माना जाता है। इस आज इस परिवार के मुखिया मुलायम सिंह यादव का 83 वां जन्मदिवस है, और जन्मदिवस के अलावा भी आज का यह कार्यक्रम इसलिए भी चर्चा में बना हुआ है, क्योंकि काफी सालों से नाराज मुलायम सिंह के छोटे भाई शिवपाल यादव को विशेष तौर पर इस जन्म दिवस कार्यक्रम में निमंत्रित किया गया है।  राजनीतिक गलियारों में इस बात की जोर शोर से चर्चा है, कि मुलायम सिंह के जन्मदिन के बहाने एक दूसरे से नाराज चल रहे अखिलेश यादव और शिवपाल यादव को करीब लाने का का प्रयास किया जा रहा है। परिवार की यही तो सबसे बड़ी खासियत होती है, कि समय-समय पर परिवार से असंतुष्ट, नाराज

बच्चों को अनुशासित करना क्यों है जरुरी, और कैसे करें?

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Why is it important to discipline children, and how to do it? (Pic: hindustantimes  ) 'अनुशासन' का अर्थ है, कि प्रत्येक मनुष्य के लिए निर्धारित किए किए गए नियमों का पालन करना। कहा जाता है, कि एक अनुशासित व्यक्ति ही 'सभ्य समाज' का निर्माण कर पाता है। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि सभ्य समाज के निर्माण के लिए प्रत्येक व्यक्ति का अनुशासित होना बेहद जरूरी है। लेकिन जानकार कहते हैं कि अनुशासन की शुरुआत बाल्यावस्था से ही की जाए तो आगे चलकर युवाओं के अंदर अनुशासन विकसित होना आसान हो जाता है।  अगर बचपन में ही किसी बच्चे को अनुशासन का मतलब ही ना बताया जाए, नियमों का पालन करना ही ना बताया जाए, तो जाहिर सी बात है आगे चलकर वह बच्चा अनुशासनहीन ही बनेगा और ऐसे में बेहद मुश्किल हो जाएगा कि वह समाज में निर्धारित किसी भी नियम को पूरी तरीके से माने। ऐसे में किसी माता-पिता के लिए बहुत बड़ी ड्यूटी है, कि वह अपने बच्चे को अनुशासन सिखाएं। यह आज के मॉडर्न समय में जहां माता पिता के पास समय कम है, और प्रत्येक बच्चे के हाथ में मोबाइल फोन है, और वह दिन रात अपने मोबाइल फोन में अवांछित चीजों को

घर की गलतियां, कर लें दुरुस्त; अन्यथा होगी धन की बर्बादी - Home Vastu Tips vs Home Management, Hindi Article

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भला कौन नहीं चाहता है कि उसका जीवन सफल, सुखी, संपन्‍न एवं सेहतमंद हो! पर ऐसा सबके साथ भला होता क्यों नहीं है? बेशक कई लोग वास्‍तु शास्‍त्र के आवश्यक नियमों को न मानें, किन्तु अगर इससे हमारा व्यवहार ठीक होता है, धन की बर्बादी रुक जाती है, तो फिर बुरा ही क्या है? हाँ! अन्धविश्वास से हमें दूर रहना चाहिए, किन्तु अच्छाई के लिए कुछ उपाय करने से हमें हिचकिचाना नहीं चाहिए.  वास्तु में आर्थिक नुक्सान की वजह के पीछे जो कुछ कारण बताये गए हैं, उनके अनुसार,  नल से पानी नहीं टपकना चाहिए. जी हाँ! इससे आपके घर का धन एवं सम्‍मान भी बर्बाद होता है, ऐसी मान्यता है. यूं भी नल टपकने से आपका ध्यान बेवजह नकारात्मक होता है, भटकता है, तो पानी की बर्बादी भी होती है. तो तुरंत ठीक करा लें.  रसोई में जूठे बर्तन नहीं होने चाहिए. जी हाँ! रात्रि में भोजनोपरांत जूठे बर्तन रसोई में लोग छोड़ ही देते हैं. इसे वास्तु में गलत माना गया है. अब इसे प्रबंधन की दृष्टि से देखें, तो अगर रात में जूठे बर्तन छोड़ देते हैं, तो सुबह कार्य में विलम्ब हो सकता है. इसके अलावा जूठन से कीटाणु भी आते हैं, एवं गन्दगी फैलती है, लोगों के स्वास्थ

इंडियन आर्मी में लेफ्टिनेंट पोस्ट पर ज्वाइन किया शहीद की पत्नी ने, पढ़ें इंस्पिरेशनल स्टोरी - Jyoti Nainwal wife of Martyr, Shaheed Naik Deepak Nainwal Kulgam attack became Lieutenant in Indian Army, Inspirational, True Hindi Story

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भारतीय सेना में एक से बढ़कर एक नायक हुए हैं, जिन्होंने आत्म बलिदान कर देश का सम्मान, आत्म गौरव सुरक्षित रखा हुआ है.  जम्मू कश्मीर में हुए कुलगाम अटैक में दीपक नैनवाल शहीद हो गए थे, और अब उनकी पत्नी ज्योति नैनवाल ने चेन्नई में ओटीए से पासआउट किया है एवं इंडियन आर्मी में लेफ्टिनेंट के पोस्ट पर ज्वाइन कर लिया है.  यह बेहद प्रेरक स्टोरी है. ख़ास बात यह है कि नारी शक्ति की मजबूती पर देश में जहाँ सवाल उठते हैं, वहीं ज्योति नैनवाल ने यह साबित कर दिखलाया है कि अगर जज्बा हो, आगे बढ़ने की ललक हो, तो देश की नारी के लिए सब संभव है.   दो मासूम बच्चों की माँ ज्योति ने इस अवसर पर भारतीय सेना के साथ साथ महार रेजिमेंट को धन्यवाद करते हुए सैनिकों की देखभाल के प्रति कृतज्ञता प्रकट की.  ज्योति की बेटी लावण्या को अपनी माँ पर बेहद गर्व है, एवं वह खुद आर्मी ऑफिसर बनना चाहती हैं.  देश की प्रत्येक नारी को इस तरह की सच्ची कहानियों पर गर्व होना चाहिए. इसे न केवल शेयर करें, बल्कि खुद भी प्रेरित होकर प्रत्येक नारी को आगे बढ़ना चाहिए.  Jyoti Nainwal wife of Martyr, Shaheed Naik Deepak Nainwal Kulgam attack became Lieut

युवा हो रहे बच्चे की परवरिश के लिए ये चीजें जाननी हैं जरुरी!

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Things are Important to know For Raising a Young Child! यदि आप बच्चों के माता-पिता है और आप अपने बच्चों के परवरिश को लेकर चिंतित हैं, तो हम आज इसी मुद्दे पर बातकरने वाले हैं, कि अच्छी परवरिश के बाद भी माता पिता से आखिर में ऐसी कहां पर चूक हो जाती है कि, आगे चल कर अपने बच्चे के भविष्य की चिंता उन्हें सताने लगाती है।  युवा हो रहे बच्चे के मन को समझें अक्सर समय के आभाव में हम अपने बच्चे को उचित समय नहीं दे पाते हैं, जिसके कारण बच्चा अपने परिवार से दूर 'अकेला' महसूस करने लगता है। ऐसे में  युवा धीरे-धीरे अपने अकेलेपन को दूर करने के लिए ड्रग्स जैसी लत या अन्य किसी भी नशे की गिरफ्त में आसानी से आ जाता है। इतना ही नहीं यह बात माता -पिता को इतनी देर से पता चलती है कि बच्चे को संभालना मुश्किल हो जाता है।  आप इस बात पर अवश्य ध्यान दें कि युवा होते हुए बच्चों की कुछ मूलभूत आवश्यकताएं होती हैं, जिन्हें हम मनोवैज्ञानिक आवश्यकताएं भी कहते हैं। किसी भी युवा को शुरुआत में नई चीजें को जानने की उत्सुकता रहती है। जब यह उत्सुकता घर में शांत नहीं होती है, तो युवा इसे बाहरी लोगों से शांत करने की जुगत

उत्सव धर्मिता 'परिवार' का मूल है

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भारतीय संस्कृति में कहा गया है "वसुधैव कुटुंबकम" यानी समस्त विश्व ही परिवार है. निश्चित रूप से भारतीय संस्कृति के इस दर्शन को विश्व कल्याणकारी माना जाता है. यहाँ आप ऊपर के वाक्य में परिवार (कुटुंब) शब्द पर गौर करें. मतलब साफ है कि अगर हम परिवार की भावना, संवेदना बनाए रखें, तो निश्चित ही समस्त विश्व में शांति व्याप्त हो सकती है, समस्त विश्व में प्रगति सुनिश्चित हो सकती है.  यहाँ प्रश्न उठता है कि यह परिवार आखिर है क्या? निश्चित रूप से परिवार एक माता-पिता से, एक कुल खानदान से जुड़े व्यक्तियों के समूह को कहा जाता है. इसका शाब्दिक अर्थ यही है. साधारण शब्दों में जिन लोगों का एक सरनेम हो, जिनका एक कल्चर हो, कॉमन त्योहारों को वह मनाते हों, एक साथ इकट्ठे होकर अपने संस्कार संपन्न करते हों, पारंपरिक रूप से वह परिवार के दायरे में आते हैं. इस उत्सव धर्मिता में परिवार एक साथ तमाम चीजें शेयर करता है, और यह क्रम चलता रहता है, कल्चर बनता जाता है, संवेदना आती रहती हैं. सच कहें तो यही वह कनेक्शन है, जो किसी भी परिवार के मूल में होता है. हालाँकि, आधुनिक समय में परिवार में कुछ चीजें बड़ी तेजी से

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