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Showing posts from December, 2021

कैसे बनायें लव मैरिज को सुपर पॉवरफ़ुल!

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How To Make Happy Married Life (Pic: tenangles )  शादी हर व्यक्ति के जीवन का अहम हिस्सा है, फिर चाहें वह अरेंज मैरिज हो या लव मैरिज। बात हम अगर दोनों में से किसी एक की करें तो लव मैरिज में थोड़ा ज्यादा एडजस्टमेंट और पेशंस नेचर की जरूरत पड़ती है, क्योंकि हमारे भारतीय समाज में आज भी लव मैरिज के लिए अलग  विचार रखे जाते हैं। लव मैरिज को लेकर लोगों में  अलग-अलग सोच हैं, कुछ लोग लव मैरिज को सही मानते हैं, तो कहीं कुछ लोग इसके खिलाफ भी है।  माना जाता है कि लव मैरिज करना अपनी संस्कृति, अपने समाज और अपने परिवार के विपरीत जाना होता है, परंतु ऐसा नहीं होता, लव मैरिज का मतलब जिसे आप प्रेम करते हैं उसी से विवाह भी करते हैं और प्रेम करते वक्त कोई संस्कृति या जात पात नहीं देखा जाता। बदलते समय के साथ लोगों की सोच विचार में भी परिवर्तन आ रहे हैं ।आजकल लव मैरिज काही चलन जोरों में है।  बहुत लकी होते हैं वो लोग  जो अपनी पसंद के पार्टनर के साथ शादी करते हैं और उनका परिवार उनका पूरा सहयोग भी देता है, नहीं तो अधिकतर लव मैरिज करने वालों को बहुत सारी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। कभी-कभी तो वह इस कार्य में

बच्चों को सिखाएं बचत का 'हुनर'

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How do you teach kids about savings? (Pic:  bhopalsamachar ) पैसों की बचत करना अपने आप में एक ऐसी कला है, जिसे आप दूसरों के लिए नहीं बल्कि अपने लिए बहुत कुछ जोड़ लेते है। बचत केवल मुसीबत में ही काम नहीं आती बल्कि खुशी के मौके में भी काम आती है। पैसों की बचत करना हर उम्र के व्यक्ति के लिए अनिवार्य है, लेकिन अगर बचत की आदत हम बचपन में ही सीख जाएं तो यह ज्यादा फायदेमंद होता है।  बचपन में बचत के गुण सीखने इसलिए सही माना जाता है, क्योंकि  बचपन में सीखी गई हर चीज उनके लिए भविष्य में फायदेमंद साबित होती है। बच्चों के बचपन में ही बाकी सभी अच्छी आदतों के साथ-साथ पैसों की बचत करने वाली आदत भी बच्चों में  डालनी चाहिए। उन्हें पैसों की अहमियत के बारे में बताना चाहिए क्योंकि पैसा एक ऐसी चीज है, जिसके बिना जीवन केवल सांस लेने तक ही जिया  जा सकता है। परंतु जीवन की कई चाहतें और जरूरतें पूरी नहीं की जा सकती।  असली बचत निजी जरूरतों को पूरा करके कमाई जाती है, मन की चाहतों को पूरा करके कभी बचत नहीं होती, क्योंकि इंसान की चाहत हर दिन और मिनट बदलती रहती है। समय पर पैसों की बचत ना करके हम आने वाली बहुत बड़ी म

बच्चों के सही डेवलपमेंट के लिए फिजिकल और मेंटल एक्टिविटी क्यों है जरुरी ?

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Why is physical and mental activity important for proper development of children? (Pic:. howtolearn ) इसमें कोई शक नहीं है कि एक्टिव और निरोगी काया पाना थोड़ी मेहनत का कार्य है। इसके लिए  प्रतिदिन चलना फिरना और अच्छे आहार का ग्रहण करना बहुत जरूरी  है। इन्हीं कार्यों की वजह से आप अपने शरीर को चुस्त-दुरुस्त रख सकते है।  शरीर का एक्टिव रहना जितना बड़ी उम्र के लोगों के लिए जरूरी है उतना ही जरूरी है बच्चों के लिए भी, क्योंकि बच्चे परिवार में सबसे अनमोल और नाजुक  होते है। कहा जाता है कि अच्छी आदतें बच्चों में बचपन में ही प्रवेश कर जानी चाहिए जैसे कि सुबह समय पर उठना, सैर- व्यायाम करना, अच्छा खाना और खेलकूद  में हिस्सा लेना।  इन्हीं सभी आदतों के बीच एक सबसे बड़ी अच्छी आदत है व्यायाम, योगा करके खुद को तंदुरुस्त रखना आसान शब्दों में इसे फिजिकल एक्टिव रहना भी कहते है।  बच्चों को इनडोर(शतरंज,लूडो,कैरम,कार्ड गेम्स, बोर्ड गेम्स, म्यूजिकल चेयर,मार्बल्स,पिलो गेम)और आउटडोर गेम(  तैराकी, खो खो खेलना, बैडमिंटन, वॉलीबॉल आदि) ऐसे अनगिनत खेलों में भागीदार बनाएं या उनके साथ उनका दोस्त बनकर खेलें। बच्चों का

अपने बच्चे को 'ना' कहें इस नए अंदाज में!

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  How To Say No To Kids (Pic:  babygaga  ) ' बच्चे मन के सच्चे 'यह वाक्य हम सभी ने सुना ही हैं। बच्चे बहुत प्यारे भी होते हैं और बहुत नादान भी, ऐसे में उन्हें कुछ भी समझाना थोड़ा मुश्किल होता है।  बच्चों को जो चीज अच्छी लगती है उसे पाने की जिद करने लगते हैं फिर चाहे वह चीज उनके लिए   उपयोगी  हो या ना हो। बच्चों को सही - गलत की ज्यादा समझ नहीं होती है, उनके लिए हर कार्य एक खेल के समान है।  ऐसे में वे अपनी बात को मनवाने के लिए जिद करने लगते हैं। उनकी इस आदत को कभी पूरा किया जाता है, तो कभी नजरअंदाज किया जाता है । कभी-कभी तो उनकी यह जिद करने की आदत पेरेंट्स के लिए परेशानी का कारण बन जाती है । जिस कारण बच्चों के माता-पिता उन्हें गुस्सा करके या हर बात पर उन्हें ना शब्द का प्रयोग करके उन्हें नजरअंदाज कर देते हैं। जैसे कि उदाहरण के तौर पर  बच्चा अगर बार-बार चॉकलेट या  टॉफी खाने की जिद करता है, तो माता-पिता उसे सीधा मना कर देते हैं, जबकि उन्हें चाहिए कि ना शब्द का प्रयोग करने  की बजाय बच्चों को  टॉफी  और चॉकलेट अधिक खाने के फायदे और नुकसान प्यार से बताएं ताकि वह आपकी बात को समझ सके।  ब

क्या आप भी बच्चे को कम उम्र में स्कूल भेजने के पक्ष में हैं! तो जान लें ये सच्चाई

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Ideal Age For A Child To Start School (Pic: scoonews ) आजकल के कंपटीशन भरे जमाने में हर कोई आगे बढ़ना चाहता है, फिर चाहे वह किसी भी उम्र का क्यों ना हो! आगे बढ़ने की दौड़ में तो अब छोटे बच्चे भी शामिल हो गए हैं, माता पिता द्वारा बच्चों को उनकी  स्कूल जाने वाली उम्र समय से पहले ही उन्हें स्कूल भेजना शुरू कर दिया जा रहा है। बच्चे 2 से 5 साल की उम्र के बीच  शारीरिक और मानसिक रूप से बढ़ रहे होते हैं, आज  उसी उम्र में  उन्हें स्कूल में दाखिला दिलवा कर माता-पिता उनसे उन्हीं का बचपन छीन रहे हैं। जिस उम्र में बच्चों को उठना बैठना भी सही ढंग से नहीं आता, उस उम्र में आज वह किताबों से भरे बैग का बोझ उठा रहे हैं। अधिकतर लोगों को लगता है कि कम उम्र में स्कूल भेजने से बच्चों को शिक्षा का ज्ञान जल्दी हो जाता है, जबकि वो यहां गलत हैं,  क्योंकि हर बच्चे का चीजों को समझने और ग्रहण करने का तरीका अलग अलग होता है। सभी बच्चों  का मानसिक विकास एक जैसा नहीं होता परंतु माता-पिता एक दूसरे के बच्चों को देखकर अपने बच्चे को भी उन्हीं में शामिल कर देते हैं । बहुत सारे अध्ययन और एक्सपर्ट्स  द्वारा यह पता चला है कि बच्

भारत में पले-बढ़े लोग, बड़ी अमेरिकी कंपनियों के सीईओ के तौर पर इतने सफल कैसे हो रहे हैं?

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Indian CEO Success Story in USA, America, Hindi Article इतिहास से लेकर वर्तमान तक और वर्तमान से लेकर भविष्य तक, जिस बात की सर्वाधिक चर्चा हुई है, अथवा होने वाली है, वह निश्चित रूप से 'सफलता के सन्दर्भ (Context of Success) ही है. इतिहास, लोगों की सफलता - असफलताओं पर ही लिखे गए हैं, तो वर्तमान में भी उसी व्यक्ति की कद्र होती है, जो सफलता के नए आयाम छू रहा है. इसी प्रकार नए बालकोंका  भविष्य भी इसी तरीके से गढ़ने का प्रयत्न होता है कि वह आने वाले दिन में सफल हों. आखिर किसी भी परिवार में कौन सा व्यक्ति नहीं चाहता है कि उस की संतानें, उस की औलादें सफल हों? ऐसे में भारत वासियों के लिए एक सुखद संयोग खबरों में है, और वह यह है कि एक बड़ी संख्या में भारत में जन्मे लोग सीईओ के  तौर पर अमेरिका की सिलिकॉन वैली में अपना दबदबा दिखा रहे हैं. अभी हाल ही में टि्वटर के सीईओ के तौर पर जिन पराग अग्रवाल (Twitter CEO Parag Aggrawal) का चयन हुआ है, वह मीडिया में छाया हुआ है. केवल पराग अग्रवाल ही अकेले क्यों, गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई, माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ सत्या नडेला, एडोबी के सीईओ शांतनु नारायण जैसे एक से ब