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Showing posts from January, 2022

जगत में कोई न परमानेंट: जो कुछ है, उसका सदुपयोग करें, सहेजें!

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क्या सच में इस संसार में कुछ परमानेंट है क्या? यह बात आध्यात्मिक ही नहीं, बल्कि तथ्यात्मक भी है. आखिर 'संसार' को असार यूं ही नहीं कहा गया है. एक मनुष्य आखिर क्या कुछ नहीं करता है, संपत्ति इकठ्ठा करने के लिए, किन्तु यह संपत्ति क्षण भंगुर ही तो है! शास्त्रों में धन की तीन गति बतलाई गयी है: दान , भोग , नाश ! जी हाँ! धन की सबसे उत्तम गति 'दान' मानी जाती है, जो आपके साथ ही औरों का भी कल्याण करती है. वहीं धन की दूसरी गति 'भोग' मानी जाती है, अर्थात अपने लिए सुख-साधन इकठ्ठा करना, जो दान से निम्न श्रेणी में आती है.  वहीं अगर धन के यह दोनों उपयोग आप नहीं कर पाते हैं, तो उसका 'नाश' होना एक प्रकार से तय हो जाता है. आप या आपकी पीढियां उसका दुरूपयोग ही करती हैं. पर मूल बात यह है कि धन 'परमानेंट' नहीं है.  इसीलिए परिवार में प्रत्येक व्यक्ति को 'धन-संग्रह' की बजाय, उसके उपयोग का संस्कार अवश्य ही ग्रहण करना चाहिए, अन्यथा चीजें ध्वस्त होते देर नहीं लगती. अगर यकीन नहीं हो तो एक अमेरिकन अरबपति की कहानी पढिये, जो अरबों का मालिक होने के बाद भी किस प्रकार से एक

स्टैच्यू ऑफ इक्वालिटी: स्वामी रामानुजाचार्य का 'अप्रतिम' स्थल

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विश्व का सर्वाधिक बड़ा सिटिंग स्टैच्यू, जो कि 302 फीट ऊँचा है, वह महात्मा बुद्ध का है, एवं वह थाइलैंड में स्थित है. वहीं दूसरे स्थान पर भारत में स्थित स्वामी रामानुजाचार्य का सिटिंग स्टैच्यू (बैठा हुआ) हैदराबाद में स्थापित हो चुका है, जिसकी उंचाई 216 फीट की है. फरवरी में स्वामी रामानुजाचार्य की इस भव्य प्रतिमा का लोकार्पण खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करने जा रहे हैं. जैसा कि हमें पता है कि ज्ञान भूमि के नाम से, यश से भारत सदा ही सुशोभित रहा है, एवं वह ज्ञान स्वामी रामानुजाचार्य जैसे संतों से ही तो आया है.  भारतवर्ष का एक-एक परिवार इस ज्ञान से लाभान्वित रहा है, एवं वह आगे भी इससे संस्कार ग्रहण करता रहे, ज्ञान प्राप्त करके आगे बढ़ता रहे, इसी हेतु से इस सिटिंग स्टैच्यू का निर्माण किया जा रहा है. बता दें कि इस स्टैच्यू के साथ 108 मंदिर भी निर्मित किये गए हैं, जो विश्व भर में मौजूद आचार्य के मंदिरों का प्रतिनिधित्व करते हैं. इसके साथ-साथ 120 किलो सोने का इस्तेमाल करते हुए स्वामी रामानुजाचार्य की एक छोटी मूर्ति भी मंदिर के भीतर स्थापित की गई है. इसे ही स्टैच्यू ऑफ इक्वालिटी का नाम दिया गया

भारतवर्ष का सर्वाधिक भव्यतम 'यदाद्री' मंदिर

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जैसे भारतीय संस्कृति के मूल में परिवार प्रमुख रहे हैं, वैसे ही भारतवर्ष मंदिरों का देश रहा है. इसी क्रम में भारतवर्ष के सर्वाधिक भव्यतम 'यदाद्री' मंदिर की बात इस लेख में है.  हैदराबाद से तकरीबन 60 किलोमीटर दूर यदाद्री भुवनगिरी जिले में यदाद्री पहाड़ी पर स्थित श्री लक्ष्मी-नृसिंह मंदिर का कायाकल्प हो चुका है. बताया जा रहा है कि यह मंदिर न केवल भारत का, बल्कि विश्व के भव्यतम मंदिरों में से एक है. हजारों वर्ष पुराने मंदिर के विस्तार के लिए तकरीबन 1900 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया गया.  साउथ फिल्मों के जाने माने आर्ट डायरेक्टर एवं आर्किटेक्ट आनंद साईं ने तैयार द्वारा तैयार किया गया है.  इसकी भव्यता का अनुमान आप इसी बात से लगा लीजिये कि इसके शिखर पर ही तकरीबन 27 किलो सोना चढ़ाया गया है. मंदिर में इस्तेमाल किये जा रहे ब्लैक स्टोन तकरीबन 1000 वर्षों तक प्रत्येक मौसम की मार झेलते हुए भी स्थिर रह सकेंगे. इस मंदिर की अनेकानेक विशेषताएं हैं, जिसे आप निम्न लिंक्स पर जाकर देख सकते हैं  Dainik Bhaskar Report on Yadadri Temple in Hindi, यहाँ क्लिक करें More information on Yadadri Temple, click to