'ग्रोथ माइंडसेट' और आपका बच्चा, 11 ज़रूरी पॉइंट्स 'Growth Mindset' and your child, 11 important points

Growth Mindset' and your child

जिस दिन हम माता-पिता बनते हैं, उस दिन हमारी जिंदगी में खूब सारी खुशियां आती हैं और इन्हीं खुशियों के साथ आती है, हमारे कंधों पर एक बड़ी जिम्मेदारी, जिसके तहत हमें अपने बच्चे को सक्षम और योग्य बनाने की जिम्मेदारी होती है। 

आजकल के चुनौतीपूर्ण लाइफ स्टाइल में जहां मां और बाप दोनों व्यस्त हो गए हैं अपने कैरियर को लेकर, वहीं बच्चों की परवरिश एक बड़ी समस्या बन गई है। हालांकि टेक्नोलॉजी के इस युग में हम अगर स्मार्ट तरीके से अपने बच्चे को सिखाना चाहें तो यह बेहद आसान भी है, बस जरूरत है यह समझने की, कि हमें अपने बच्चे को सिखाना क्या है?

तो आइए जानते हैं कि अपने बच्चे के अंदर हम कौन से ऐसे गुण हैं, जिन्हें डिवेलप कर सकते हैं, जिससे आगे चल कर बच्चा सक्षम और ग्रोथ माइंडसेट का बन सके। जब आप अपने बच्चे के डेवलपमेंट में ग्रोथ माइंडसेट को फोकस करते हैं, तो ना बल्कि आपका बच्चा रियलिस्टिक गोल को समझता है, बल्कि उस गोल को अचीव करने के रास्ते में आने वाली कठिनाइयों और समस्याओं पर भी बखूबी काबू करना सीख सकता है और इसके साथ ही अपने फेलियर से लड़ना भी सीख सकता है। 

तो आइए जानते हैं 'ग्रोथ माइंडसेट' डिवेलप करने के 11 स्टेप्स

1. ग्रोथ और फिक्स माइंड सेट में अंतर बताएं (Differentiate Between Growth and Fix Mind Set)

हम बात कर रहे हैं कि बच्चों में कैसे ग्रोथ माइंडसेट को डिवेलप करें, तो इससे पहले हमें यह बच्चों को समझाना होगा कि ग्रोथ माइंडसेट और फिक्स माइंडसेट क्या होता है, दोनों के बीच क्या डिफरेंस होते हैं? जब तक इस बात को आपका बच्चा नहीं समझेगा ग्रोथ माइंडसेट की अहमियत क्या होती है, उसे नहीं पता चलेगा। इसको समझाने के लिए सबसे आसान तरीका यह है कि, आप अपने बच्चे को जब भी कुछ करने के लिए कहें तो सबसे पहले उससे यह पूछे कि उसके लिए क्या सही है और वह इसे किस तरीके से कर सकता है। जब आपका बच्चा टूटा फूटा जवाब देने लग जाएगा तो उसी दिन से उसका ग्रोथ माइंडसेट डेवलप होना शुरू हो जाएगा और जब वह सोचने लगेगा कि उसके लिए सही क्या है गलत क्या है?

2. रिजल्ट के बजाय एफर्ट पर फोकस करें (Focus on Effort Instead of Result)

जब भी आप अपने बच्चे को कोई टास्क दें तो उसका रिजल्ट क्या आया है, इस पर बात करने के बजाय उसको पूरा करने के दौरान आपके बच्चे ने क्या पॉजिटिव प्रयास किया इस पर ज्यादा बात करें। उसे इस बात के लिए प्रोत्साहित करें कि, रिजल्ट चाहे जो हो उसे लगातार अपने प्रयास सुधारने होंगे तो एक न एक दिन रिजल्ट भी बेहतर आएगा। इसके अलावा उसे यह भी समझाएं कि रिजल्ट अच्छा नहीं आता है तो, हार नहीं मानना है बल्कि अगली बार और बेहतर तरीके से प्रयास करना है।

3. बच्चे के फेलियर पर खुलकर बात करें (Talk Openly About The Child's Failure)

बच्चों की आदत होती है कि, वह अपने फेलियर को छुपाते हैं और उसका सामना नहीं करना चाहते हैं। वहीं अधिकांश पेरेंट्स भी बच्चों के फेलियर पर या उनके द्वारा किए गए कार्य के विफल हो जाने पर सामान्य तौर पर उसकी चर्चा नहीं करते हैं और उसे इग्नोर कर देते हैं। यह तरीका सही नहीं है, जब भी आपका बच्चा किसी टास्क में फेल होता है, तो आप उस पर खुलकर बातें करें और बच्चे के फीलिंग को समझने की कोशिश करें। इससे उसे मोटिवेट करने और अगली बार उसे बेहतर करने की प्रेरणा मिलेगी और आपके बच्चे के अंदर जो निगेटिविटी भरी हुई है, वह निकलेगी और धीरे-धीरे वह फेलियर से भी पॉजिटिव चीजें लेना सीखने लगेगा।

4. नई चीजें ट्राई करने के लिए प्रेरित करें (Inspire To Try New Things)

ग्रोथ माइंडसेट वाला बच्चा बनने के लिए सबसे बड़ी चुनौती यह है कि आप अपने बच्चे में रिस्क लेने की आदत डिवेलप करें और उसे नई चीजें ट्राई करने के लिए भी प्रेरित करें। नई चीजें करेगा तो अनजान खतरों से धीरे-धीरे डरना छोड़ देगा। हालांकि यह आसान नहीं होता है, लेकिन जब आप अपने बच्चे को प्रेरित करते हैं और लगातार प्रयास करते हैं, तो धीरे-धीरे रिस्क लेने की प्रवृत्ति बच्चे में बढ़ने लगती है और इस तरीके से आपके बच्चे के अंदर एक ग्रोथ माइंडसेट भी डिवेलप होने लग जाता है।

5. बच्चे को गलतियाँ करने दें (Let the Child Make Mistakes)

अक्सर माता पिता के रूप में हम इतने प्रोटेक्टिव हो जाते हैं कि, अपने बच्चों को किसी भी तरह की गलती करने से हमेशा रोकने का प्रयास करते हैं। ऐसे में हमें याद रखना होगा कि, जब आपका बच्चा कोई गलती करेगा ही नहीं तो उसे नई चीज ट्राई करने को भी नहीं मिलेगी।

 इसका यह मतलब हुआ कि वह कोई भी डिसीजन खुद से ले लेने में सक्षम नहीं बन पाएगा। इतना ही नहीं किसी भी काम को करने से पहले उसके मन में डर बैठ जाएगा कि, कहीं वह काम गलत ना हो जाए। ऐसे में हमें बच्चों को नई नई चीज है ट्राई करते रहने देना चाहिए और गलती को लेकर बार-बार उनके मन में यह बात नहीं बैठने देनी चाहिए कि, गलती हो जाना बड़ी बात है। बजाय इसके हमें बच्चे को इस बात के लिए प्रेरित करना चाहिए कि, गलती हो जाने पर भी उसे किस तरीके से सुधारा जाए और अपनी गलती से किस प्रकार सीख लिया जाए।

6. प्रक्रिया की प्रसंशा करें ना कि बच्चे की (Praise the Process, Not the Child)

अगर आप अपने बच्चे को ग्रोथ माइंडसेट वाला बनाना चाहते हैं, तो इसके लिए यह स्टेप काफी महत्वपूर्ण है, जिसके तहत आपको अपने बच्चे की प्रशंसा करने के बजाए उसके काम करने के तरीके की प्रशंसा करनी होगी। कई बार ऐसा देखने को मिलता है कि जब भी हमारा बच्चा कोई कार्य अच्छे तरीके से कर लेता है, तो हम बच्चे की खूब तारीफ करते हैं। यहां इस प्रक्रिया में थोड़ा बदलाव करना है और बच्चे के अच्छे तरीके से किसी कार्य के पूरा हो जाने पर आपको ध्यान रखना है कि, तारीफ बच्चे द्वारा लिए गए स्टेप्स और काम करने के तरीके की करनी है, ना कि यह बोलना है कि तुमने यह काम अच्छा किया है, तुम काफी होशियार हो, काफी समझदार हो। 

इसके बजाय आप यह कह सकते हैं कि, इस कार्य को करने के दौरान आपने काफी अच्छा तरीका अपनाया और बेस्ट तरीके से आपने इस कार्य को किया है। तो जब आप बच्चे के कार्य करने की प्रक्रिया की प्रशंसा करते हैं, तो बच्चे के मन में आत्ममुग्धता  आने की बजाय अगली बार किसी अन्य टास्क के लिए और अच्छी प्रक्रिया और अच्छा प्रोसेस बनाने की प्रेरणा जागती है। और इस तरीके से आपका बच्चा किसी भी टास्क को पूरा करने के लिए अलग-अलग स्टेप्स बनाने की प्रक्रिया में ज्यादा ध्यान देने लग जाएगा।

7. बच्चे को भावनाओं को नियंत्रित करना सिखाएं (Teach The Child To Control Emotions)

जिस प्रकार से हम बड़े लोगों के अंदर तमाम भावनाएं उत्पन्न होती हैं, उसी प्रकार से बच्चों के अंदर भी सभी प्रकार की भावनाएं लगभग मौजूद रहती हैं। आप यह कह सकते हैं कि, उनमें कुछ कुछ फीलिंग, कुछ-कुछ इमोशंस इतनी ज्यादा रहती है कि, उन्हें नियंत्रित करना बेहद आवश्यक होता है। आप कुछ इस तरीके से समझ सकते हैं कि किसी किसी बच्चे में क्रोध की भावना बहुत ज्यादा होती है और वह बात बात में गुस्सा हो जाता है, तो वहीं  किसी बच्चे में जलन की भावना होती है और अपने सहपाठी, अपने भाई-बहन के किसी कार्य को देखकर बच्चा अंदर ही अंदर जलन फील करता है और, ऐसे में इन भावनाओं को बहुत ज्यादा बढ़ावा मिले, इससे पहले ही इसे नियंत्रित करने की स्ट्रेट्जी पर आपको बहुत बारीक तरीके से काम करने की आवश्यकता है। 

अगर आपका बच्चा गुस्सैल है, बात बात में गुस्सा करता है, सामान तोड़ने लग जाता है, चीजों को फेंकने लग जाता है, तो आप अलर्ट हो जाइए और इसके लिए आपको सबसे पहले अपने बच्चे को यह एहसास कराना होगा कि, वह गुस्सा करने की आदत पर नियंत्रण नहीं कर पा रहा है, जो कि अच्छी बात नहीं है। इसके लिए आप अपने बच्चे से बात करें, उसकी बात सुनें,  वह क्यों गुस्सा हो रहा है यह बात जब बच्चा मुंह से, अपनी बातों से करने लगेगा तो उसके एक्शन में धीरे-धीरे कमी आने लगेगी और आप देखेंगे कि, निगेटिविटी की तरफ से वह पॉजिटिविटी की तरफ बढ़ रहा है, और धीरे-धीरे वह अपने इमोशंस पर कंट्रोल करना सीखने लग जाएगा। 

ऐसे ही अगर बच्चा अन्य बच्चे को देखकर जलन फील करता है, तो इस बारे में भी आपको अपने बच्चे से खुलकर बात करनी होगी और उसे समझाना होगा कि, सबके अंदर अलग-अलग गुण होते हैं, अलग-अलग क्वालिटी होती है, ऐसे में आपको अपने अंदर अच्छी क्वालिटी को और अधिक बढ़ाने पर फोकस करना चाहिए और सबसे बड़ी बात आपके अंदर जो भी अच्छाइयां हैं, आप उस पर बच्चे का ध्यान लगाएं। आप देखेंगे कि जब आप बच्चे के अंदर मौजूद अच्छाईयों के बारे में बात करते हैं, तो बच्चे को भी महसूस होने लग जाता है कि, उस पर जलन हावी हो रहा है, और एक बार जब बच्चे को एहसास हो जाये तो, बच्चा इन इमोशंस पर कंट्रोल करना भी सीखने लग जाता है।


8. बच्चे को उसकी strengthsके बारे में स्पष्टता से बताएं (Tell The Child Clearly About His Strengths)

बच्चों को सिखाने के दौरान अक्सर माता-पिता सबसे बड़ी गलती करते हैं कि, वह अपने बच्चे को उसकी कमियों के बारे में सबसे पहले बताने लग जाते हैं, और पूरी कोशिश करते हैं कि बच्चा अपनी कमियों को जान पाए और उन्हें सुधार पाए। वहीं अगर सबसे पहले बच्चे के स्ट्रैंथ के बारे में बात की जाए तो यह सबसे बेहतर विकल्प हो सकता है बच्चे के ग्रोथ माइंडसेट का बनने के लिए। 

हालांकि इसके लिए आपको बहुत बारीकी से अपने बच्चे के अंदर मौजूद उसके स्ट्रैंथ को समझना होगा और अपने बच्चे को भी काफी स्पष्टता से यह बताना होगा कि उसकी स्ट्रैंथ क्या है, उसकी ताकत क्या है, वह किस कार्य को काफी अच्छी तरीके से कर सकता है ?
बता दें कि अगर आपका बच्चा यह जानने लग जाए कि उसके स्ट्रैंथ क्या है तो उसके अंदर कॉन्फिडेंस आने लग जाता है और धीरे-धीरे वह अपने इंप्रूवमेंट एरिया के तरफ बढ़ने लगता है, और जो भी उसकी इंप्रूवमेंट है, यानी कि कमजोर पॉइंट्स है उन्हें भी दुरुस्त करने लग जाता है।

9. बच्चे को हार्ड वर्किंग और जुझारू बनने की ट्रेनिंग दें (Train the Child To Be Hardworking and Combative)

बच्चों का स्वभाव होता है बहुत जल्दी किसी कार्य से उब जाना और नए कार्य की तरफ आकर्षित होना। ऐसे में माता-पिता को अपने बच्चे की इस बिहेवियर पर बदलाव करने की जरूरत है, उसे हार्ड वर्किंग होना और जुझारू बनने की ट्रेनिंग देना आवश्यक है। अगर आप चाहते हैं कि आपका बच्चा ग्रोइंग माइंडसेट का बने तो आपको अपने बच्चे को hard-working होने के इम्पोर्टेंस को समझाना होगा, उसे बताना होगा कि, बिना कड़ी मेहनत के किसी मंजिल तक पहुंचना संभव नहीं है। 

अगर बच्चा बार-बार किसी कार्य से डिस्ट्रैक्ट हो रहा है, तो उसे यह समझाना होगा कि जब तक वो प्रत्येक कार्य में लगातार प्रैक्टिस नहीं करेगा तो उसके अंदर कोई भी स्किल, कोई भी प्रतिभा निखर नहीं आएगी, क्योंकि प्रैक्टिस के बिना परफेक्शन नहीं आता है। हालाँकि हार्ड वर्किंग बनाना और कंसंट्रेटेड रहना अपने आप में एक बहुत बड़ी प्रक्रिया है और इसमें माता-पिता को बच्चे का भरपूर साथ देना चाहिए, जब तक कि वह इसकी प्रैक्टिस में माहिर हो ना जाए। यह उम्मीद करना कि सिर्फ कह देने मात्र से बच्चा Hard-Working बन जाएगा तो यह संभव नहीं हो पाएगा, इसके लिए पेरेंट्स को बच्चे के साथ तब तक लगे रहना पड़ेगा जब तक बच्चा इसके इंपॉर्टेंस को समझने नहीं लगता।

10. लक्ष्य निर्धारित करना और उसके लिए स्टेप्स बनाना सिखाएं (Learn to Set Goals and Make Steps For Them)

अपने बच्चे को ग्रोथ माइंडसेट बनाने की प्रक्रिया में आप उसे लक्ष्य निर्धारित करना यानी कि टारगेट सेट करना जरूर सिखाएं , क्योंकि बिना लक्ष्य निर्धारित किए  किसी भी कार्य को करना काफी मुश्किल भरा होता है। अगर बच्चा शुरू से ही अपने टारगेट सेट करने लग जाए तो वह बहुत जल्दी यह सीख जाता है कि, उसे क्या-क्या करना है और इसे कब तक पूरा कर देना है। 

आप यूँ समझ लीजिए कि, एग्जाम के समय में आप अपने बच्चे को यह टारगेट दे सकते हैं कि, आज 1 दिन में उसे 3 चैप्टर का रिवीजन कार्य पूरा कर लेना है, ठीक ऐसे ही अन्य कामों को आप एक टारगेट के रूप में बच्चे के सामने पेश कर सकते हैं। इसके साथ ही टारगेट को पूरा करने के लिए आप अपने बच्चे को स्टेप्स बनाना सिखाएं कि कैसे एक एक स्टेप्स को चल कर वह अपना टारगेट पूरा कर सकता है।

11. अपने और अपने बच्चे के बीच विश्वास की डोर मजबूत करें (Build a Bond of Trust Between You And Your child)

बच्चा सबसे अधिक अपने माता-पिता के करीब रहता है और उसे अपने माता-पिता को नजदीक से जानने और समझने का मौका मिलता है। ऐसे में अगर आप अपने बच्चे को कुछ सिखा रहे हैं, बता रहे हैं तो यह बेहद आवश्यक है कि, आप अपने आपको खुद एक रोल मॉडल की तरह पेश करें। ऐसा ना हो कि आप जो बातें बच्चे को सिखा रहे हैं, उसे खुद ही फॉलो नहीं करते हैं। ऐसे में बच्चे के सामने काफी दुविधा पूर्ण स्थिति उत्पन्न हो जाती है और कई बार बच्चा यह सीखने का प्रयास नहीं करता है और आप सख्ती अपनाने लग जाते हैं, जिसके बाद दोनों में दूरियां बढ़ने लगती हैं। 

ऐसे मगर आप अपने बच्चे के बीच विश्वास की डोर को मजबूत करना चाहते हैं, तो अपने स्वाभाव में भी आपको बदलाव करने की जरूरत है, क्योंकि अब आप एक रोल मॉडल, एक शिक्षक की भूमिका में आ रहे हैं और बच्चे वही करते हैं जो वह देखते हैं।

तो ये हैं वो कुछ स्टेप्स जिनके माध्यम से आप अपने बच्चे के माइंड सेट में बदलाव लाने का प्रयास कर सकते हैं। 



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