युवा हो रहे बच्चे की परवरिश के लिए ये चीजें जाननी हैं जरुरी!
Things are Important to know For Raising a Young Child! |
यदि आप बच्चों के माता-पिता है और आप अपने बच्चों के परवरिश को लेकर चिंतित हैं, तो हम आज इसी मुद्दे पर बातकरने वाले हैं, कि अच्छी परवरिश के बाद भी माता पिता से आखिर में ऐसी कहां पर चूक हो जाती है कि, आगे चल कर अपने बच्चे के भविष्य की चिंता उन्हें सताने लगाती है।
युवा हो रहे बच्चे के मन को समझें
अक्सर समय के आभाव में हम अपने बच्चे को उचित समय नहीं दे पाते हैं, जिसके कारण बच्चा अपने परिवार से दूर 'अकेला' महसूस करने लगता है। ऐसे में युवा धीरे-धीरे अपने अकेलेपन को दूर करने के लिए ड्रग्स जैसी लत या अन्य किसी भी नशे की गिरफ्त में आसानी से आ जाता है। इतना ही नहीं यह बात माता -पिता को इतनी देर से पता चलती है कि बच्चे को संभालना मुश्किल हो जाता है।
आप इस बात पर अवश्य ध्यान दें कि युवा होते हुए बच्चों की कुछ मूलभूत आवश्यकताएं होती हैं, जिन्हें हम मनोवैज्ञानिक आवश्यकताएं भी कहते हैं। किसी भी युवा को शुरुआत में नई चीजें को जानने की उत्सुकता रहती है। जब यह उत्सुकता घर में शांत नहीं होती है, तो युवा इसे बाहरी लोगों से शांत करने की जुगत में लग जाता है। ऐसे में वह खुद एक ऐसे सर्किल में बनाने की सोचता है, जिससे वो आसानी से बात कर सके और अपनी जिज्ञासा को शांत कर सके। इसमें सबसे बड़ा खतरा यह होता है कि आपके बच्चे का सर्कल उसे कैसी सीख दे रहा है? क्या वो उसे भ्रमित कर रहा है और गलत काम करने के लिए प्रेरित तो नहीं कर रहा है ?
यह सब आप तभी जान पाएंगे जब अपने बच्चे के करीब रह पाएंगे।
बच्चों का मोरल डिसाइड करना हो पहला कदम
पेरेंट्स को सबसे पहले बच्चों के अंदर मोरल को डालना चाहिए। अपने बच्चों को हमेशा अच्छे मोरल के प्रति प्रेरणा दें और उन्हें हमेशा अच्छे और बुरे का फर्क समझाएं। ध्यान रहे बच्चों में यह समझ हमेशा पारिवारिक माहौल से ही बनती है, जिस प्रकार बच्चे का पारिवारिक माहौल होता है, उसी प्रकार उसके चरित्र का निर्माण होता है। ऐसे में अच्छी बातें सिर्फ कहने से काम नहीं बनाने वाला बल्कि अपने घर का माहौल भी आपको अच्छा रखना होगा। आप यह बात अच्छी तरह से जान लें कि यदि बच्चों को अपने युवा समय में समझदारी आ गई, तो वह अपने दोस्तों के साथ बना किसी दबाव के साथ खड़ा रहेगा और अपने आत्मविश्वास के निर्णय लेने में सक्षम होगा।
क्रिटिकल कंडीशन के लिए बच्चे को करें तैयार!
अगर परिवारिक माहौल में बच्चे को क्रिटिकल सोच से रूबरू नहीं करवाया गया तो, आगे चल कर आपके बच्चे के लिए परेशानियां बढ़ने वाली हैं। इसका मतलब यह है कि अपने बच्चे को डल अवस्था में नहीं रहने दें बल्कि जब भी आपका बच्चा किसी प्रश्न को पूछता है, तो उसे आत्मविश्वास के साथ जवाब दें।
अपने बच्चे की तुलना ना करें
एक बात आप अच्छे से जान लें कि हर बच्चा अलग होता है। हर बच्चे की अपनी क्वालिटी होती हैं, ऐसे में अपने बच्चे की तुलना किसी और बच्चे से करना समझदारी नहीं है। अगर आपको अपने बच्चे को कुछ सिखाना है तो उसे अपने तरीके से सिखाएं ना कि किसी और बच्चे का उदहारण दे कर उसके मनोबल को कम करें।
अगर बच्चों को बार-बार डांटना पड़े तो संभल जाएँ
अगर पेरेंट्स को लगता है कि वह अपने बच्चे को बार बार डांट रहे हैं और रोक रहे हैं, तो पेरेंट्स को स्वयं पर ध्यान देना चाहिए और समझना चाहिए कि बच्चा आपके नजरिए को समझ भी पा रहा है या नहीं! लाख कोशिश के बाद भी अगर आप इस मामले को संभाल नहीं पा रहे हैं, तो ऐसे मामलों में ज्यादातर प्रोफेशनल्स और लाइव कोचिंग ज्यादा प्रभावी होते हैं।
अपने बच्चे को लगाएं ग्रुप एक्टिविटी में
अगर आप अपने बच्चे का सम्पूर्ण विकास चाहते हैं तो उसे ग्रुप एक्टिविटीज जैसे स्पोर्ट्स, स्काउट्स, एनसीसी आदि में डालना चाहिए, जहां पर उन्हें सकारात्मक सोच मिल सके और वह अपने आत्मविश्वास को बढ़ा सकें।
ये हैं वो कुछ टिप्स जिनकी मदत से आप अपने बच्चे के विकास को आसान बना सकते हैं।
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